RAMCHARITMANAS ROW: यूं ही नहीं याद आया मायावती को गेस्ट हाउस कांड! सपा ने रखा है दुखती रग पर हाथ

बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की सियासत में रामचरितमानस पर हुए विवाद बयानों पर जिस तरीके से सियासी रंग चढ़ा, उसमें आखिरकार मायावती को भी अपने कोर वोट बैंक को संदेश देने के लिए कूदना पड़ा। दरअसल समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर मामले को जाति वर्ण व्यवस्था तक पहुंचा दिया। चूंकि इस पूरे मामले में बात शूद्र की आई समाजवादी पार्टी ने उसको सियासत के तौर पर जब भुनाना शुरू किया, तो मायावती कैसे चुप रहतीं। सियासी जानकार मानते हैं कि बसपा की खिसकी हुई सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए मायावती ने समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा और अपने साथ हुए गेस्ट हाउस कांड का जिक्र कर सियासत को एक और रंग दे दिया।

मौर्य के बयान पर अखिलेश यादव की मूक सहमति!

सियासी जानकारों का कहना है कि जिस तरीके से समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर उसे जाति तक लेकर चले गए उसमें अखिलेश यादव की मूक सहमति मानी जा रही है। रामचरितमानस की चौपाई में शुद्र शब्द के लिखे जाने पर अखिलेश यादव ने भी न सिर्फ अपनी प्रतिक्रिया दी, बल्कि मुख्यमंत्री से इस पर सवाल पूछने की भी बात कही। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शूद्र शब्द के साथ समाजवादी पार्टी ने एक विशेष जाति समुदाय को अपने साथ जोड़ने का जिस तरीके से प्रयास किया, मायावती ने उसी बयान पर न सिर्फ अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, बल्कि गेस्ट हाउस कांड तक का हवाला दे डाला।

सियासी जानकारों का मानना है कि दरअसल जिस तरीके से समाजवादी पार्टी ने पूरे मामले में मायावती के वोट बैंक को साधने की कोशिश की, उससे बहुजन समाज पार्टी को भी सियासी नफा नुकसान नजर आने लगा। क्योंकि पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी आमने-सामने थीं, तो बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना भी साध लिया। अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी कमजोर और उपेक्षित वर्गों को शूद्र कहकर उनका अपमान न करें। देश में कमजोर और उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस और मनुस्मृति ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है। इसमें बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं, बल्कि एससी, एसटी और ओबीसी की संज्ञा दी है।

2024 की राजनीतिक पिच तैयार कर रहे हैं राजनीतिक दल

बसपा से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि बार-बार समाजवादी पार्टी के नेताओं की ओर से शूद्र शब्द को लेकर सियासत की जा रही थी। यही वजह रही कि बसपा सुप्रीमो मायावती को आकर समाजवादी पार्टी को जवाब देना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि दरअसल मायावती की समाजवादी पार्टी को निशाने पर लेने की असली वजह अपने वोट बैंक को दिया जाने वाला एक संदेश भी है। वह कहते हैं कि जिस तरीके से इस पूरे मामले का राजनीतिकरण हो रहा था, उसमें बहुजन समाज पार्टी ने ही अब तक इस मुद्दे पर न तो कोई अपना रुख स्पष्ट किया था और न ही कोई बयान दिया था। अब मायावती ने इस पूरे मामले में जो बयान दिया है, उसमें उन्होंने न सिर्फ समाजवादी पार्टी को घेरा है, बल्कि भाजपा से लेकर कांग्रेस तक को निशाने पर लिया है।

यह पूरा मामला 2024 में होने वाले चुनावों की राजनीतिक पिच के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि रामचरितमानस की चौपाई और उसके शब्दों को जातीय गोलबंदी के तौर पर ही राजनीतिक दल इसे आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना ही कि इसके पीछे सारी लड़ाई बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक की है, जो भारतीय जनता पार्टी के खेमे में इस वक्त चला गया है। समाजवादी पार्टी की ओर से इस पूरे मामले को आगे लेकर जाने से स्पष्ट लग रहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी के हिस्से से बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक लेने का प्रयास भी कर रही है। बहुजन समाज पार्टी अगर इस पूरे मामले में मूक बनी रहती, तो उसके वोट बैंक का नुकसान तो होता ही, साथ में एक संदेश भी जाता, जो संभवतया पार्टी के पक्ष में नहीं लग रहा था। यही वजह है कि मायावती ने इस पूरे मामले में न सिर्फ समुदाय का जिक्र करते हुए समाजवादी पर हमला किया बल्कि अपने ऊपर हुए गेस्ट हाउस कांड का भी हवाला देकर अटैक किया, ताकि बसपा अपने कोर वोट बैंक को अपने पाले में ला सके।

2023-02-03T14:23:15Z dg43tfdfdgfd